बदहाली को छुपाने की नौबत आखिर क्यों आई? ऐसा गुलाम हिंदुस्तान में होता था-शिवसेना

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी पत्नी मेलानिया के साथ पहली बार दो दिन के भारत दौरे पर आ रहे हैं। उनके दौरे को लेकर विशेष तैयारियां की जा रही हैं। वहीं गुजरात के अहमदाबाद में झुग्गियों को ढंकने के लिए दीवार बनाई जा रही है। जिसे लेकर शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामान के जरिए भाजपा पर निशाना साधा है। पार्टी का कहना है कि ट्रंप क्या खाते, पीते हैं उसे लेकर केंद्र सरकार बैठक कर रही है। ऐसा तब होता था जब गुलाम हिंदुस्तान में ब्रिटेन के राजा-रानी आते थे। पार्टी ने प्रधानमंत्री से पूछा है कि बदहाली को छुपाने की नौबत आखिर क्यों आई।

सामना में लिखा है, ‘बादशाह ट्रंप क्या खाते हैं, क्या पीते हैं, उनके गद्दे-बिछौने, टेबल, कुर्सी, उनका बाथरूम, उनके पलंग, छत के झूमर कैसे हों इस पर केंद्र सरकार बैठक, सलाह-मशविरा करते हुए दिखाई दे रही है। गुलाम हिंदुस्तान में इंग्लैंड के राजा या रानी आते थे, तब उनके स्वागत की ऐसी ही तैयारी होती थी और जनता की तिजोरी से बड़ा खर्च किया जाता था। ट्रंप के बारे में भी यही हो रहा है। अपने ‘गुलाम’ मानसिकता के लक्षण इस तैयारी से दिख रहे हैं।’

पार्टी का कहना है कि ट्रंप दुनिया के धर्मराज या सत्यवादी नहीं हैं। ट्रंप अमदाबाद एयरपोर्ट पर उतरेंगे इसलिए एयरपोर्ट और एयरपोर्ट के बाहर की सड़कों की ‘मरम्मत’ शुरू है। यह मरम्मत करने के लिए ट्रंप के चरण अमदाबाद में पड़ना, इसे ऐतिहासिक ही कहना चाहिए। 17 सड़कों का डामरीकरण शुरू है। नई सड़कें बनाई जा रही हैं। लेकिन इस सबमें मजे की बात ऐसी है कि ट्रंप को सड़क से सटे गरीबों के झोपड़े का दर्शन न हो इसके लिए सड़क के दोनों ओर किलों की तरह ऊंची-ऊंची दीवारें बनाने का काम शुरू है।

झोपड़ियां छुपाने को लेकर पार्टी ने प्रधानमंत्री मोदी से सवाल पूछा है कि गुजरात की बदहाली को छुपाने की नौबत क्यों आई। पार्टी ने लिखा, ‘ट्रंप की नजर से गुजरात की गरीबी, झोपड़े बच जाएं, इसके लिए यह ‘राष्ट्रीय योजना’ हाथ में ली गई है। ट्रंप को देश का दूसरा पहलू दिखे नहीं क्या यह उठा-पटक इसके लिए है? सवाल इतना ही है मोदी सबसे बड़े ‘विकास पुरुष’ हैं। उनसे पहले इस देश में किसी ने विकास नहीं किया और बहुधा बाद में भी कोई नहीं करेगा। मोदी 15 वर्षों तक गुजरात राज्य के ‘बड़े प्रधान’ और अब पांच वर्षों से पूरे देश के ‘बड़े प्रधान’ हैं फिर भी गुजरात की गरीबी और बदहाली छिपाने के लिए दीवार खड़ी करने की नौबत क्यों आई?’

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