हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने आज विधान सभा के बजट सत्र के दौरान नगर तथा ग्राम आयोजन विभाग के लिए 1561.80 करोड़ रूपये का आवंटन किया।
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल आज यहां हरियाणा विधान सभा के बजट सत्र के दौरान बतौर वित्त मंत्री राज्य का वर्ष 2020-21 का बजट प्रस्तुत कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2005 से 2014 तक लगभग 38,000 एकड़ क्षेत्र के लिए लगभग 1,200 लाइसैंस दिये गए जिनमें से अधिकतर परियोजनायें ई०डी०सी० समय पर नहीं दे पायी, इस कारण से बकाया बढ़ गया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां लाईसैंस दिये गए, उस क्षेत्र में विकास के लिए, सैक्टर रोड़ तथा ग्रीन बैल्ट की भूमि अधिग्रहित की गई, जिसका मुआवजा लगभग 10 से 15 करोड़ रुपये प्रति एकड़ देना पड़ रहा है जबकि इसका अनुमान इससे कहीं कम था। इसी परिप्रेक्ष्य में, केन्द्रीय बजट में ‘‘एक-मुश्त राहत’’ के तौर पर घोषित ‘‘विवाद से विष्वास’’ योजना की रूपरेखा अनुसार शीघ्र ही हम ‘‘समाधान से विकास’’ योजना लाएंगे। सरकारी संस्थानों/ निगमों में आमतौर पर निर्धारित समय के भीतर भवनों के निर्माण न करने व किस्तों का भुगतान न करने पर आबंटित संपतियों को रिज्युम (Resume) कर लिया जाता है तथा बढ़े हुए मूल्यों पर नीलामी की जाती है। उन्होंने कहा कि हमारा संपति विक्रय नियमों में संशोधन करने का विचार है ताकि ऐसे प्लॉटों की नीलामी के बाद होने वाले लाभ में उस प्लाटधारक की भी हिस्सेदारी हो। इससे ऐसे मामलों में विभिन्न प्रकार के मुकदमों में भारी कमी आएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में अभी तक ‘‘किराया आधारित आवास’’ के महत्व और छात्रों, वरिष्ठ नागरिकों, कामकाज़ी महिलाओं, निम्न/सीमांत आय वर्ग की जरूरतों को पूरा करने के लिए ‘‘किराया आधारित आवास’’ की नीति बनाई जाएगी, इसके तहत वर्ष 2020-21 से इस प्रकार के आवास की उपलब्धता होनी शुरू हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि पंचकुला में हर प्रकार के निवेश को गति देने हेतु हर तरह के नए लाईसेंस तथा सी0एल0यू0 परियोजनाओं के शुल्क को वर्ष 2020-21 और 2021-22 की अवधि के लिए मोहाली में लागू शुल्क के बराबर कर दिया जाएगा।
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चंडीगढ़, 28 फरवरी- हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री अनिल विज ने आज मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल, जो वित्त मंत्री भी है, के द्वारा आज हरियाणा विधानसभा में वित्त वर्ष 2020-21 के लिए प्रस्तुत किए गए राज्य के बजट अनुमानों को विकासोन्मुखी, रोजगारोन्मुखी, शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और स्वावलंबन सुनिश्चित करने के अलावा हर क्षेत्र के साथ हर वर्ग का ख्याल रखने वाला बजट बताया।
श्री अनिल विज ने राज्य बजट अनुमानों पर अपनी प्रतिक्रिया व्यञ्चत करते हुए कहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण क्षेत्र के लिए वर्ष 2020-21 में 6533.75 करोड़ रुपये आवंटित करने का प्रस्ताव करता हँू, जोकि वर्ष 2019-20 के 5310.64 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान परिव्यय पर 23.03 प्रतिशत की वृद्धि है। प्रस्तावित परिव्यय में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के लिए 4201.16 करोड़ रुपये, चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान के लिए 1701.50 करोड़ रुपये, आयुष के लिए 353.29 करोड़ रुपये, कर्मचारी राज्य बीमा स्वास्थ्य देखभाल के लिए 237.85 करोड़ रुपये और खाद्य एवं औषध प्रशासन के लिए 39.94 करोड़ रुपये शामिल है।
उन्होंने कहा कि एमआरआई, सीटी स्कैन, कैथ लैब और डायलिसीस की सुविधा के साथ-साथ वर्ष 2020-21 में ही सभी जिला हस्पतालों में कैंसर के ईलाज के लिए कीमोथैरेपी का प्रावधान भी किया जाएगा। अचानक दिल से संबंधित तकलीफ होना जानलेवा न हो जाए, ऐसा सुनिश्चित करने के लिए सोरबिट्रेट की गोली प्रथम सहायता के रूप में सार्वजनिक स्थानों जैसे रेलवे स्टेशनों, बस स्टैण्डों, अनाज मण्डी इत्यादि प्रमुख जगहों पर मुफ्त रखी जाएगी।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2020-21 से सभी शहर के सभी मार्गो पर समुचित प्रकाश के लिये एक नई योजना ‘जगमग शहर योजना‘ का प्रस्ताव करता हूँ। इसके अन्तर्गत सभी शहरी क्षेत्रों के लगभग 5 लाख लाईट प्वाईंटों को एल.ई.डी. लाईटों से बदला जायेगा।
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चण्डीगढ, 28 फरवरी- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने हरियाणा के इतिहास में आज पहली बार बतौर वित्त मंत्री राज्य का वर्ष 2020-2021 के बजट अनुमानों को प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने कहा कि यह बजट शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और स्वावलंबन पर अधिक केन्द्रित होगा। उन्होंने कहा कि आज हरियाणा की वित्तीय प्रबंधन बेहतर हैं तथा हरियाणा की जीडीपी वृद्धि देश के बडे राज्यों में सबसे अधिक है।
मुख्यमंत्री आज यहां विधानसभा में बजट सत्र के दौरान बतौर वित्त मंत्री राज्य के वर्ष 2020-2021 के बजट अनुमानों को प्रस्तुत करने के उपरांत विधानसभा में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री राजेश खुल्लर, वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री टीवीएसएन प्रसाद, स्वर्ण जयंती हरियाणा राजकोषीय प्रबंधन संस्थान के महानिदेशक श्री विकास गुप्ता और सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के निदेशक श्री पीसी मीणा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और स्वावलंबन जैसे मुख्य क्षेत्रों में सरकार ने इस वर्ष बजट में काफी वृद्धि की है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष शिक्षा में 31.7 प्रतिशत, स्वास्थ्य में 23.17 प्रतिशत, स्वावलंबन अर्थात खेती इत्यादि में 36.7 प्रतिशत और सामाजिक सुरक्षा में 37 प्रतिशत बजट की वृद्धि की गई है।
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि कर्ज को कम करने के लिए तीन प्रकार के तरीके हैं, एक टैक्स लगाया जाए, जोकि हमने नहीं लगाया, क्योंकि इससे जनता पर बोझ पडता है। दूसरा है पूंजीगत व्यय में कमी करके, परंतु इससे राज्य के विकास कार्य प्रभावित होते हैं, इसलिए यह भी व्यवहारिक नहीं हैं और तीसरा है उधार लेकर, लेकिन राज्य के विकास के लिए यह जरूरी हैं क्योंकि दुनिया की सभी अर्थव्यवस्थाओं में यह किया जाता है लेकिन यहां पर हमने जीएसडीपी अनुपात के तहत एफआरबीएम एक्ट की 25 प्रतिशत तक कर्ज लेने की सीमा रखी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में कर्ज की अलार्मिंग स्थिति नहीं हैं लेकिन खर्च लगातार बढता जा रहा है जिनमें से कुछ चीजें ऐसी हैं जिन्हें बंद नहीं किया जा सकता है, जैसे कि पेंशन, सामाजिक सुरक्षा संबंधी भत्ते और वेतन इत्यादि। उन्होंने उदाहरण देेते हुए कहा कि ये खर्चें लगातार बढते रहते हैं जैसे कि पेंशन पर वर्ष 2014-15 में 4600 करोड रूपए खर्च होते थे जो अब बढकर 9000 करोड रूपए हो गये हैं। इसी प्रकार, वेतन पर वर्ष 2014-15 में 13900 करोड रूपए खर्च होते थे जो अब बढकर 27000 करोड रूपए हो गया है।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर उन्होंने कहा कि हम वित्तीय मामलों में मुकेदमेबाजी को कम करने पर भी बल दे रहे हैं और यह राज्य के हित में हैं तथा इससे हितधारकों के पास जो बकाया है, उसकी वसूली जल्द हो पाएगी। उन्होंने बताया कि इसके अलावा, सरकार वन टाइम सैटलमेंट स्कीम लाने की योजना भी बना रही हैं ताकि राज्य की वित्तीय स्थिति को मजबूत किया जा सकें।
संवाददाताओं से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार पंचायती राज संस्थाओं व शहरी स्थानीय निकायों को स्वायतत्ता देने के लिए कृतसंकल्प हैं और इस दिशा में हमने हाल ही में हर विधानसभा क्षेत्र में 80 करोड रूपये की दर से 7200 करोड रूपए वार्षिक धनराशि उपलब्ध करवाने का प्रावधान रखा है। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत इन संस्थाओं को विकास कार्य करवाने के लिए नियमित तौर पर धनराशि मिलती रहेगी ताकि गांवों पंच-सरपंच, जिला परिषद के सदस्य और शहरों में पार्षद अपने-अपने क्षेत्र के विकास की योजनाएं स्वयं बना सकेंगें और उन्हें स्वायतता मिलेगी।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि मैंने बतौर वित्त मंत्री राज्य का बजट प्रस्तुत करने से पहले विभिन्न क्ष़ेत्रों के हितधारकों और सभी दलों के विधायकों से प्री-बजट परामर्श किया और इसके तहत समय के अनुकूल न रहने वाली विभिन्न योजनाओं को बंद करने और आज की जरूरत के अनुसार ही नई योजनाओं को लागू करने की पहल की हैं और इससे कर्मचारियों के सुव्यवस्थीकरण में सहयोग मिलेगा। उन्होंने बताया कि बजट के लिए तीन दिन तक चली प्री बजट चर्चा में लगभग 300 सुझाव आए हैं और जिनमें से 52 विधायकों के सुझावों को बजट में सम्मिलित किया गया है।
उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के प्रशिक्षण हेतू एक व्यापक कार्यक्रम चलाया जाएगा और हर नए भर्ती हुए कर्मचारी को समग्र रूप से प्रशिक्षित किया जाएगा तथा हर कार्यरत कर्मचारी को अगले तीन सालों में उसकी आवश्यकता के अनुसार प्रशिक्षित भी किया जाएगा।
एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि गौसंवर्धन व गौसरंक्षण योजना के तहत उन्हीं गौशालाओं को सरकारी अनुदान दिया जाएगा, जो अपनी गौशालाओं में अपनी क्षमता के अनुसार एक तिहाई बेसहारा गायों को आसरा प्रदान करेंगी।
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