हरियाणा विधानसभा में आज कुल आठ बिल पारित किये गए, जिनमें हरियाणा निजी विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2020, हरियाणा राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद (संशोधन) विधेयक, 2020, हरियाणा नगरीय क्षेत्र विकास एवं विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2020, हरियाणा कृषि ऊपज मंडी (संशोधन) विधेयक, 2020, बाल विवाह प्रतिषेध (हरियाणा संशोधन) विधेयक, 2020, हरियाणा ग्रुप घ कर्मचारी (भर्ती एवं सेवा की शर्तें) संशोधन विधेयक, 2020, हरियाणा तालाब एवं अपजल प्रबंधन प्राधिकरण(संशोधन) विधेयक, 2020 और हरियाणा विनियोग (संख्या 1) विधेयक, 2020 शामिल हैं।
हरियाणा निजी विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2020
हरियाणा निजी विश्वविद्यालय अधिनियम 2006 में और संशोधन करने के लिए हरियाणा निजी विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2020 पारित किया गया। ओ.पी.जिन्दल ग्लोबल विश्वविद्यालय हरियाणा निजी विश्वविद्यालय अधिनियम 2006 के तहत स्थापित एक निजी विश्वविद्यालय है। विश्वविद्यालय ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के विनियम 2017 (समवत विश्वविद्यालय श्रेष्ठ संस्थान) के अधीन केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के समक्ष समवत विश्वविद्यालय श्रेष्ठ संस्थान घोषित करने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया है। यदि किसी राजकीय निजी विश्वविद्यालय द्वारा एक समवत विश्वविद्यालय श्रेष्ठ संस्थान के रूप में चयन लिए सिफारिश की जाती है तो उसे संबंधित राज्य सरकार से एक उपक्रम प्रस्तुत करना होगा कि राज्य सरकार हरियाणा विधानसभा में इस निजी विश्वविद्यालय को समवत विश्वविद्यालय श्रेष्ठï संस्थान घोषित करने से पूर्व निजी विश्वविद्यालय का दर्जा छोडऩे के लिए उचित विधान लाएगी।
इस आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार द्वारा उपक्रम पत्र दिया गया था कि राज्य विधानसभा में हरियाणा निजी विश्वविद्यालय अधिनियम 2006 के तहत ओ.पी.जिन्दल ग्लोबल विश्वविद्यालय का निजी विश्वविद्यालय का दर्जा वापिस लेने हेतु उचित विधान लाएगी। इसके अतिरिक्त, प्रस्तावित संशोधन में यह भी प्रावधान किया गया है कि यह संशोधन ओ.पी.जिन्दल ग्लोबल विश्वविद्यालय को समवत विश्वविद्यालय श्रेष्ठï संस्थान घोषित करने बारे केन्द्र सरकार द्वारा अधिकारिक राजपत्र में यूजीसी अधिनियम 1956 की धारा-3 के अनुसार अधिसूचना की प्रकाशन की तिथि से लागू होगा।
हरियाणा निजी विश्वविद्यालय अधिनियम 2006 में किए गए वर्तमान प्रावधान के तहत एक स्थापित निजी विश्वविद्यालय के नाम में परिवर्तन की कोई गुंजाइश नहीं है। इसलिए स्थापित निजी विश्वविद्यालय का नाम बदलने के लिए मुख्य अधिनियम में इस तरह का एक खंड शामिल करने के लिए संशोधन किया गया है।
इसके अतिरिक्त, राज्य के युवाओं को उच्च्तर शिक्षा में बेहतर अवसर प्रदान करते हेतु शैक्षणिक संस्थाओं की संरचना में और विस्तार की आवश्यकता है। उच्चतर शिक्षा में विद्यार्थियों की वृद्घि को समायोजित करने की व्यवस्था में और 30 प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात प्राप्त करने के लिए सभी स्तरों पर संस्थाओं की संख्या में मोटे तौर पर दोहरी वृद्घि करने की आवश्यकता है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार का हस्तक्षेप पर्याप्त नहीं होगा और इसमें निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रमुख रूप से शामिल करने की आवश्यकता है। इस उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु जिला सोनीपत में ऋषिहुड, विश्वविद्यालय स्थापित करने के उद्देश्य से इस प्रस्ताव का प्रतिपादन किया गया है।
हरियाणा नगरीय क्षेत्र विकास एवं विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2020
हरियाणा नगरीय क्षेत्र विकास एवं विनियमन अधिनियम 1975 को संशोधित करने के लिए हरियाणा नगरीय क्षेत्र विकास एवं विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2020 पारित किया गया है। यह विधेयक लाया जाना इसलिए आवश्यक था क्योंकि हरियाणा नगरीय क्षेत्र विकास एवं विनियमन अधिनियम, 1975 के तहत जारी किए गए लाइसेंसों का नवीनीकरण पांच साल के लिए किया जाता है। तथापि सरकार के ध्यान में आया कि विभिन्न प्रकार की लाइसेंस कालोनियां विकास के अलग-अलग चरणों में हो सकती हैं। तदनुसार , कालोनी के पूरा होने के लिए पांच साल की निर्धारित नवीनीकरण अवधि की आवश्यकता नहीं भी हो सकती है। इसलिए लाइसेंसों का नवीनीकरण आवश्यकतानुसार एक से पांच वर्ष तक करते हेतु इस अधिनियम की धारा 3 (4) में संशोधन करना आवश्यक है।
हरियाणा तालाब एवं अपजल प्रबंधन प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2020
हरियाणा तालाब एवं अपजल प्रबंधन प्राधिकरण अधिनियम, 2018 में संशोधन करने के लिए हरियाणा तालाब एवं अपजल प्रबंधन प्राधिकरण(संशोधन) विधेयक, 2020 पारित किया गया है। हरियाणा के तालाबों के विकास व इनकी सुरक्षा, कायाकल्प, संरक्षण, निर्माण तथा प्रबंधन एवं उपयोग के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए आवश्यक शक्तियों एवं कार्यों के साथ हरियाणा तालाब एवं अपजल प्रबंधन प्राधिकरण अधिनियम,2018 लागू किया गया था। हरियाणा तालाब एवं अपजल प्रबंधन प्राधिकरण एक वर्ष से भी अधिक समय से अपना कार्य कर रहा है। समय गुजरने के साथ यह देखा गया है कि तकनीकी सलाहकार और सदस्य सचिव की योग्यता एवं अनुभव अधिक है जिसके कारण ऐसे अधिकारी आसानी से उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। इसलिए हरियाणा तालाब तथा अपशिष्ट जल प्रबंधन प्राधिकरण को सुचारू रूप से चलाने व प्राधिकरण की क्षमता बढ़ाने के लिए संशोधन किया जाना आवश्यक है।
बाल विवाह प्रतिषेध (हरियाणा संशोधन) विधेयक, 2020
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 को राज्यार्थ आगे संशोधित करने के लिए बाल विवाह प्रतिषेध (हरियाणा संशोधन) विधेयक, 2020 पारित किया गया है। लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम,2012 एक विशेष कानून है तो भारतीय दंड संहिता, 1860 से प्रबल है और आईपीसी की धारा 375 के अनुच्छेद में मौजूदा अपवाद के अनुसार नाबालिक पत्नी 15 से 18 वर्ष की आयु के साथ यौन क्रिया अनुचित व संविधान का उल्लघंन था। तदनुसार सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के अनुसार पुरूष और उसकी 15 से 18 वर्ष की पत्नी में संभोग बलात्कार नहीं है। लेकिन जैसा कि पोक्सो अधिनियम की धारा 6 के अनुसार यह बलात्कार की परिभाषा में आता है। दोनों कानूनी प्रावधानों पर पूरी तरह से विचार करने उपरांत सर्वोच्च न्यायालय इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि कर्नाटक राज्य द्वारा इस संबंध में सबसे अच्छा समाधान खोजा गया है। कर्नाटक राज्य विधान मंडल ने धारा-3 में उपधारा (1क) सम्मिलित की है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 जिससे यह घोषित किया जाता है कि इसके बाद हर बाल विवाह पर रोक लगा दी जाती है, व शून्य है। तदनुसार 15 से 18 साल की उम्र के पुरूष और लडक़ी के बीच कोई भी वैवाहित संबंध शून्य होगा और किसी भी प्रकार का प्रासंगिक विवरण इस प्रकार है – (1क) बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 की धारा 3 उप-धारा (1) में निहित कुछ भी नहीं के बावजूद, बाल विवाह प्रतिषेध (कर्नाटक संशोधन) अधिनियम, 2006 के लागू होने की तिथि पर या उसके बाद होने वाले प्रत्येक बाल विवाह पर रोक व शून्य होगी।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यह भी समीक्षा की गई कि सभी राज्य विधानसभाओं के लिए यह उचित होगा कि बाल विवाह को शून्य बनाने के लिए कर्नाटक राज्य द्वारा उठाए गए कदम को अपनाए और यह सुनिश्चित करें कि बालिका और उसके पति के बीच संभोग को पोक्सो अधिनियम तथा आईपीसी के तहत दंडित अपराध माने। इसलिए इस अधिनियम की धारा-3 में संशोधन किया जाना आवश्यक था।
हरियाणा ग्रुप घ कर्मचारी (भर्ती एवं सेवा की शर्तें) संशोधन विधेयक, 2020
यह विधेयक हरियाणा ग्रुप घ कर्मचारी (भर्ती एवं सेवा की शर्तें) अधिनियम, 2018 को आगे संशोधित करने के लिए पारित किया गया है। विभिन्न गु्रप घ पदों पर भर्ती के लिए एकरूप सेवा की शर्तें, न्यूनतम आयु, एकरूप न्यूनतम योग्यता, पारदर्शी चयन मानदंड के साथ-साथ आर्थिक-सामाजिक स्थिति, अनुभव को महत्व देते हुए और साक्षात्कारों को दूर करते हुए हरियाणा हरियाणा ग्रुप घ कर्मचारी (भर्ती एवं सेवा की शर्तें) अधिनियम, 2018 (2018 का अधिनियम संख्या 5) बनाया गया था।
उक्त 2018 का हरियाणा अधिनियम संख्या 5 के प्रावधानों को विवेचन तथा लागू करते समय हरियाणा राज्य द्वारा कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, उन कठिनाइयों को दूर करने के लिए, 2018 के हरियाणा अधिनियम संख्या 5 में कुछ संशोधन करना आवश्यक है। तदनुसार, उक्त प्रयोजन को प्राप्त करने के लिए 2018 के हरियाणा अधिनियम संख्या 5 को संशोधित करना आवश्यक हो गया है।
हरियाणा राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद (संशोधन) विधेयक, 2020
यह विधेयक हरियाणा राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद अधिनियम, 2018 को आगे संशोधित करने के लिए पारित किया गया है। हरियाणा राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद विधेयक, 2018 के लागू होने के बाद हरियाणा राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद अस्तित्व में आई। राज्य सरकार ने आवश्यक समझते हुए हरियाणा उच्चतर शिक्षा परिषद की स्थापना की जिससे राज्य सरकार, विश्वविïद्यालय, शैक्षिक जगत एवं विशेषज्ञों के सहयोग से ऐसी व्यवस्था बनाए जिसके द्वारा विश्वविïद्यालयों, महाविद्यालयों एवं राज्य सरकार में उच्चतर शिक्षा के संबंध में समन्वय बन सके, जिसके द्वारा विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों की उच्च स्तर की नियामक संस्थाओं के साथ सकारात्मक संबंधों का निर्माण हो सके । अपनी स्थापना के बाद से परिषद् विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में उच्च शिक्षा प्रणाली में गुणात्मक परिवर्तन लाने की दिशा में काम कर रही है। कुछ प्रणालीगत परिवर्तन लाने और परिषद् के सुचारू संचालन के लिए यह देखा गया कि हरियाणा राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद् अधिनियम, 2018 की कुछ धाराओं में संशोधन लाने की आवश्यकता है।
हरियाणा कृषि उपज मंडी (संशोधन) विधेयक, 2020
यह विधेयक हरियाणा कृषि उपज मंडी अधिनियम, 1961 को आगे संशोधित करने के लिए पारित किया गया है। भारत सरकार ने कृषि मंडियों को स्वच्छ रूप से उत्प्रेरित करने तथा प्रदर्शन करने के उद्देश्य से आदर्श कृषि उपज मंडी अधिनियम शीर्षक ‘‘राज्यञ्चसंघ क्षेत्र कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2017’’ परिचालित किया है, जो विशेष रूप से किसानों और आमतौर पर उपभोक्ताओं के लाभ के लिए है। ये दोहरे उद्देश्य से अधिक निवेश में उपयोगी होंगे और बेहतर कृषि विपणन बुनियादी ढांचा सृजित करने में मदद करेंगे और किसानों को उपज के लिए पारिश्रमिकता मूल्य प्राप्त करने में मदद करेंगे।
हरियाणा कृषि उपज मंडी (संशोधन) विधेयक, 2020 को पूर्वोक्त उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। इसलिए, विधेयक निजी मंडी यार्डों की स्थापना, गोदामोंञ्चकोल्ड स्टोर को उप-मंडी यार्ड, विशेष मंडी यार्ड के रूप में घोषित करने, ई-व्यापार प्लेटफार्म की स्थापना, कृषि उपज का प्रत्यक्ष विपणन और बहुत से अन्य लोगों के बीच मंडी शुल्क के एकल उदग्रहण (लेवी) की स्थापना से संबंधित उपबन्ध प्रस्तुत करता है। यह विधेयक निजी मंडी के लिए विनियामक तंत्र की भी पकिल्पना करता है और उपयोगकर्ता प्रभारों के उदग्रहण को भी विहित करता है।
ई-राष्ट्रीय कृषि मंडी के माध्यम से भारत सरकार पूरे देश के लिए एक एकीकृत मंडी स्थल का सृजन कर रही है। इस प्लेटफार्म से राष्ट्र स्तर की 585 मंडियां जुड़ी हुई हैं, जिनमें हरियाणा राज्य की 54 मंडियां शामिल हैं। इस प्लेटफाम को जोडऩे और व्यापार करने के लिए समर्थ उपबन्ध भी इस विधेयक के माध्यम ये प्रस्तुत किए गए हैं।
संक्षेप में, ‘‘हरियाणा कृषि उपज मंडी (संशोधन) विधेयक, 2020’’ का उद्देश्य हरियाणा राज्य में किसानों को कृषि उत्पादों को पारिश्रमिकता मूल्य पर बेचने के लिए बेहतर विकल्प सृजित करना है।
हरियाणा विनियोग (संख्या 1) विधेयक, 2020
हरियाणा विधान सभा में आज मार्च, 2020 के 31वें दिन को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष के दौरान सेवाओं के लिये हरियाणा राज्य की संचित निधियों में से 1629,51,62,760 रुपये की राशि के भुगतान एवं विनियोग का प्राधिकरण देने के लिये हरियाणा विनियोग (संख्या 1) विधेयक, 2020 पारित किया गया।