गुजरात हाईकोर्ट ने सोमवार को 2015 के पाटीदार आंदोलन के सिलसिले में गैरकानूनी तरीके से लोगों के जमा होने के मामले में कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी. न्यायमूर्ति वीएम पंचोली ने पटेल की पृष्ठभूमि के आधार पर सरकार की आपत्ति पर विचार करने के बाद उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी. याचिका का विरोध करते हुए सरकार ने अदालत में कहा कि पटेल के खिलाफ 10 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं और वह गिरफ्तारी के डर से अंडरग्राउंड हो गए थे.
मामला अगस्त 2015 का है जब पटेल के नेतृत्व में पाटीदार अनामत आंदोलन समिति ने आरक्षण आंदोलन के तहत अहमदाबाद में एक बड़ी रैली आयोजित की थी. इस मामले में गैरकानूनी तरीके से जमा होने के सिलसिले में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. पुलिस का दावा था कि रैली को आवश्यक अनुमति नहीं मिली थीं.
पुलिस ने दलील दी कि लोगों के गैरकानूनी तरीके से जमा होने से हिंसा भड़की, जिसमें एक दर्जन से अधिक युवा मारे गए और संपत्तियों को नुकसान पहुंचा. पटेल ने अग्रिम जमानत अर्जी में दावा किया था कि राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा उन्हें सताया जा रहा है जिसने उनके खिलाफ कई झूठे, मनगढ़ंत मामले दर्ज किए थे. उन्होंने कहा कि पुलिस राजनीतिक दबाव में उन्हें गिरफ्तार करने के लिए काम कर रही है.