इसके साथ ही भाजपा के सियासी नक्शे में दिल्ली का नाम नहीं जुड़ पाया। देश में इस समय दिल्ली को मिलाकर 12 राज्यों में भाजपा विरोधी दलों की सरकार है। जबकि एनडीए के पास 16 राज्य हैं। विधानसभा चुनावों में हार की बात करें तो पिछले दो साल में भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए सात राज्यों में सत्ता गंवा चुका है और दिल्ली में हार आठवीं होगी।
साल 2019 के अंत में झारखंड और अब 2020 के पहले ही चुनावों में दिल्ली में हार। लोकसभा चुनावों में जबरदस्त प्रदर्शन करने के बावजूद भाजपा के हाथों से राज्य लगातार खिसकते जा रहे हैं। इस बार उम्मीद जताई जा रही थी कि भाजपा दिल्ली में सत्ता का 20 साल का वनवास खत्म कर सकती है, लेकिन ऐसा होता फिलहाल नहीं दिख रहा है। आम आदमी पार्टी पूर्ण बहुमत की ओर बढ़ रही है।
महाराष्ट्र में करीब एक महीने चले सियासी ड्रामे में भी भाजपा सत्ता बचाने में नाकामयाब रही। हरियाणा में हालांकि गठबंधन कर उसने अपनी सरकार बचाई। मगर झारखंड में उन्हें हार झेलनी पड़ी। दो साल पहले 2017 की बात करें तो भाजपा व सहयोगी पार्टियों के पास 19 राज्य थे। मगर उसने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सत्ता गंवा दी। इसके बाद आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस ने सरकार बनाई।
राजस्थान के बाद, एमपी-महाराष्ट्र-झारखंड भी खिसके
- पहले राजस्थान, फिर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, पुडुचेरी में भाजपा को हार मिली।
- इसके बाद ज्यादा सीटें जीतने के बावजूद महाराष्ट्र में भी वह सरकार बनाने में नाकाम रहे।
- पिछले साल के अंत में झारखंड में भी भाजपा को हराकर कांग्रेस गठबंधन ने सरकार बनाई।
- अब दिल्ली में आम आदमी पार्टी लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है।
इन राज्यों में भी भाजपा विरोधी सरकार
- पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस का राज है जबकि केरल में माकपा के नेतृत्व वाली सरकार।
- आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस और तेलंगाना में टीआरएस की सरकार है।
इन मुख्यमंत्रियों ने भी बना रखी दूरी
- ओडिशा में बीजू जनता दल के नवीन पटनायक भी केंद्र से दूरी बनाए रखते हैं।
- तमिलनाडु में भले ही भाजपा ने अन्नाद्रमुक के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा हो, लेकिन प्रदेश में उसका कोई विधायक नहीं है।