अमित शाह ने राज्य की अपनी दो दिवसीय यात्रा के अंत में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, “आप किसानों के विरोध का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन आपके किसानों को लाभ नहीं मिल रहा है. राज्य में किसानों को मोदी जी द्वारा दिया गया पैसा नहीं मिला है.”
ममता बनर्जी, भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार की कट्टर आलोचकों में से एक हैं, जो कृषि बिलों के बारे में मुखर रही हैं, जिसमें सुझाव दिया गया है कि भाजपा को या तो कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए या फिर पद छोड़ देना चाहिए. तृणमूल प्रमुख ने बार-बार कहा कि वह किसानों की मांगों का समर्थन करती हैं. ट्वीट्स की एक श्रृंखला में उन्होंने कानूनों को वापस न लेने पर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू करने की धमकी भी दी है.
उन्होंने एक ट्वीट में कहा था, “भारत सरकार को किसान विरोधी बिलों को वापस लेना चाहिए. यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो हम राज्य और देश भर में आंदोलन करेंगे। शुरू से ही, हम इन किसान विरोधी बिलों का कड़ा विरोध करते रहे हैं.”
भाजपा अब किसानों को प्रत्यक्ष नकद लाभ के लिए बंगाल के इनकार के साथ जवाबी कार्रवाई कर रही है. राज्य ने पूछा था कि प्रत्येक किसान को प्रतिवर्ष ₹ 6,000 की धनराशि – इसके माध्यम से दी जाएगी. केंद्र ने यह कहते हुए मना कर दिया था कि अगर राज्य सरकारों के माध्यम से डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर को पैसा दिया जाता है तो यह भावना को नष्ट कर देगा.
भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा से लेकर बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ तक – सभी ने हाल के दिनों में इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री की आलोचना की है. इस अभियान को बढ़ावा देने के लिए बंगाल की दो दिवसीय यात्रा पर आए अमित शाह ने मुख्यमंत्री ममता पर इसके साथ-साथ अन्य मामलों पर भी आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि तृणमूल सरकार ने राज्य की अर्थव्यवस्था को नष्ट कर दिया है.
अमित शाह ने कहा, “माना जा रहा था किआजादी के बाद, बंगाल जीडीपी में एक तिहाई योगदान देगा. लेकिन यह तब से गिर गया है. आजादी के बाद औद्योगिक उत्पादन में बंगाल का योगदान 30 प्रतिशत था. अब 3.5 फीसदी पर है. 1960 में, बंगाल देश के सबसे अमीर राज्यों में से एक था. 1950 के दशक में, बंगाल ने 70 फीसदी फार्मा उत्पादों का उत्पादन किया. अब यह करीब 7 फीसदी है. बंगाल के जूट उद्योग जिन्होंने बहुतों को रोजगार दिया, वे बंद हैं, ”