उन्होंने उन वीआईपी लोगों की भी जानकारी नहीं दी, जिनको सीआरपीएफ की सुरक्षा मिली हुई है। किशन रेड्डी ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए यह भी नहीं बताया गया कि साल 2014 के बाद किन वीआईपी लोगों की सीआरपीएफ सुरक्षा हटाई गई और किन लोगों को दी गई। उन्होंने केवल इतना बताया कि सिर्फ 56 लोगों को सीआरपीएफ सुरक्षा दी गई है। दयानिधि मारन ने जिन लोगों को सीआरपीएफ सुरक्षा मिली है, उन लोगों की जानकारी भी मांगी थी।
उन्होंने बताया कि सरकार ने सुरक्षा समीक्षा के बाद हाल ही में पूर्व पीएम डॉ मनमोहन सिंह, उनकी पत्नी गुरशरण कौर, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बच्चों राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की एसपीजी सुरक्षा वापस ले ली है। रेड्डी ने सुरक्षा का हवाला देते हुए उन लोगों का ब्योरा देने से मना कर दिया जिन्हें सुरक्षा दी गई या वापस ली गई। इस संबंध में संसद ने कानून बनाया है, जिसमें प्रावधान किया गया कि सिर्फ देश के प्रधानमंत्री को एसपीजी सुरक्षा दी जाएगी। प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद पांच साल तक एसपीजी सुरक्षा रहेगी और फिर हटा ली जाएगी।
संसद में यह सवाल बजट में एसपीजी सुरक्षा के लिए आवंटित फंड में 10 फीसदी का इजाफा करने पर किया गया। साल 2020-21 के लिए एसपीजी को 592.55 करोड़ रुपये बजट में आवंटित किया गया है। 2019-20 के बजट में एसपीजी के लिए 540.16 करोड़ रुपये के फंड का आवंटन किया गया था, तब चार लोगों को एसपीजी सुरक्षा मिली थी। यानि पिछले साल एक व्यक्ति की सुरक्षा में 135 करोड़ रुपये का खर्च आता था। इसका मतलब है कि इस साल प्रति व्यक्ति एसपीजी सुरक्षा में करीब 340 प्रतीशत की बढ़ोत्तरी हुई है।
साल 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उन्हीं के गार्डों द्वारा हत्या करने के बाद राजीव गांधी सरकार ने प्रधानमंत्री के सुरक्षा अधिकारियों का एक विशेष कैडर बनाने का फैसला लिया था।
मार्च, 1985 में गृह मंत्रालय द्वारा गठित की गई एक समिति की सिफारिशों के आधार पर केंद्रीय सचिवालय के तहत इस काम के लिए एक विशेष इकाई गठित की गई। शुरुआत में इस इकाई को स्पेशल प्रोटेक्शन यूनिट (विशेष सुरक्षा इकाई) नाम दिया गया था, जिसे अप्रैल 1985 में बदल कर स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप या एसपीजी कर दिया गया था।
इसके बाद, संसद ने स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) एक्ट को मंजूरी दी गई। जून 1988 में कहा गया कि यह एक्ट भारत के प्रधानमंत्री की सुरक्षा से जुड़े मामलों के लिए एक सशस्त्र बल के गठन और विनियमन के लिए है।
एसपीजी एक्ट को समीपवर्ती सुरक्षा के तौर पर परिभाषित किया गया है। इसमें सड़क, ट्रेन, विमान, पानी के जहाज या आवागमन के किसी भी साधन का इस्तेमाल करते वक्त पास से सुरक्षा मिलती है।
एसपीजी अधिकारियों को देश के प्रधानमंत्री और विशिष्ट नेताओं के साथ हर समय देखा जा सकता है। गर्मी के मौसम में सुरक्षाकर्मी सफारी सूट पहनते हैं, वहीं सर्दी के मौसम में गहरे रंग की जैकेट पहनते हैं। एसपीजी अधिकारी हमेशा गहरे रंग का चश्मा और इयरपीस लगाए रहते हैं। उनके हथियार छुपे रहते हैं।
जितने ज्यादा ऊंचे स्तर का सुरक्षा कवर होता है, सुरक्षा के लिए उतने ही अधिक अधिकारी तैनात किए जाते हैं। सामान्यत: जेड प्लस श्रेणी में ऑटोमेटिक हथियारों से लैस 24 से 36 अधिकारियों को सुरक्षा के लिए तैनात किया जाता है और जेड श्रेणी में 16 से 20 अधिकारी तैनात किए जाते हैं। एनएसजी के ब्लैक कैट कमांडो को उन वीआईपी की सुरक्षा में लगाया जाता है जिनके लिए खतरे की आशंका बेहद ज्यादा होती है।