दुनिया की अधिकतर बड़ी कंपनियों में बड़ी संख्या में भारतीय कर्मचारी काम करते हैं। इन कंपनियों में डायवर्सिटी का खास ख्याल रखा जाता रहा है। इसके साथ ही यहां भेदभाव नीतियां भी लागू हैं लेकिन भारत जैसे देश में पाए जाने वाले जातिगत भेदभाव जैसी असमानताओं को लेकर अब तक इन कंपनियों में कोई विशेष प्रावधान नहीं था। ऐसे में ऐप्पल कंपनी में जातिगत भेदभाव को स्पष्ट रूप से बंद करने और प्रतिबंधित करने वाली पहली तकनीकी कंपनी बन गया है।अब दिग्गज टेक कंपनी एपल दुनिया की पहली ऐसी कंपनी बन गई है जिसने न सिर्फ जातिगत भेदभाव पर अपनी चुप्पी तोड़ी है, बल्कि कंपनी में जातिगत भेदभाव पर पाबंदी लगा दी है। इसके साथ ही यह देखते हुए कि जाति व्यवस्था जो कि भारत में सदियों चलती आ रही है, वह अमेरिका में प्रबंधकों और कर्मचारियों के लिए अंजान हो सकती है, ऐसे में ऐप्पल ने इस विषय पर प्रशिक्षण भी शुरू कर दिया है ताकि उसके कार्यकर्ता नई नीतियों को बेहतर ढंग से समझ सकें।
रॉयटर्स के अनुसार, ऐप्पल ने लगभग दो साल पहले जाति आधारित भेदभाव को प्रतिबंधित करने के लिए अपनी सामान्य कर्मचारी आचरण नीति को अपडेट किया था, लेकिन अब तक इसकी रिपोर्ट नहीं की गई थी। नई नीति नस्ल, धर्म, लिंग, उम्र और वंश के खिलाफ भेदभाव पर रोक लगाने वाली नीतियों के साथ जातिगत भेदभाव को भी सख्ती से प्रतिबंधित करती है।
जून 2020 में कैलिफोर्निया के इम्प्लॉयमेंट रेगुलेटर ने सिस्को सिस्टम्स पर मुकदमा दायर किया था। इम्प्लॉयमेंट रेगुलेटर ने यह मुकदमा एक तथाकथित नीची जाति के इंजीनियर की ओर से दायर किया था, जिसने तथाकथित ऊंची जाति के दो बॉस पर उनके कैरियर में बाधा डालने का आरोप लगाया था। हालांकि, सिस्को ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया था। सिस्को के मुताबिक आंतरिक जांच में अधिकारियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं पाए गए। इसके साथ ही कुछ आरोप आधारहीन भी हैं।
भारत में लागू की गई अपनी नीतियों में पहले से ही जाति का उल्लेख करने वाली टेक कंपनी IBM ने भी बताया कि उसने सिस्को मुकदमे के बाद अपनी वैश्विक भेदभाव नीति में बदलाव किया है। हालांकि, IBM ने यह नहीं बताया कि उसने यह बदलाव कब किया। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, IBM केवल अपने प्रबंधकों को जाति के विषय पर प्रशिक्षण दे रहा है।
तकनीकी कंपनियों में जाति को लेकर हो रही चर्चा
अन्य बड़ी तकनीकी कंपनियां जैसे Amazon, Dell, Facebook के मालिक Meta, Microsoft, और Google अपनी मुख्य वैश्विक नीति में जाति का विशेष रूप से और स्पष्ट रूप से संदर्भ नहीं देते हैं। इनमें से कुछ ने अपने कर्मचारियों को केवल इंटरनली नोट रिलीज किया है। हाल के वर्षों में भारतीय विरासत वाले तकनीकी कर्मचारियों के बीच जाति और कथित जातिगत भेदभाव के विषय पर सिलिकॉन वैली में बहुत चर्चा हुई है।